Saturday, September 27, 2008

जल ही जीवन है

कहते हैं " जल ही जीवन है " और " बिन पानी सब सून " यानी जल के बिना हम जीवन की कल्पना ही नही कर सकते और बिना पानी के इस धरती पर कोई रहना ही नही चाहेगा तथा बिना पानी के धरती की सारी हरियाली बिल्कुल ख़त्म हो जायेगी पानी के बिना साफ - सफाई नही हो पायगी और सारी पृथ्वी का पर्यावण प्रदुषित हो जाएगा तथा पृथ्वी रहने लायक नही रहेगी इस कारणवश पृथ्वी मानव विहीन हो जायेगी

आजकल आधुनिकता के इस दौर में हर कोई आधुनिक सुख सुविधाओं से युक्त शहरों की तरफ भाग रहा है जिससे शहरीकरण को बढावा मिल रहा है जिस वजह से नए - नए शहरों का निर्माण हो रहा है तथा धीरे - धीरे शहरों की संख्या बढती जा रही है

मगर इस आधुनिक सुख सुविधाओं से युक्त शहरों में बिना पानी के हमारी हालत उस पक्षी की तरह हो जायेगी जिसे rajmahal में ले जाकर तथा सोने के पिंजरे में बंद करके उसे सारी सुख सुविधाएँ दी गई मगर खाने पिने के लिए कुछ नही दिया गया तथा वह पक्षी बिना खाए पिए तड़प तड़प कर मर गया ठीक उसी तरह हम भी शहरों में तमाम सुख सुविधाओं के होते हुए भी बिना पानी के जी नही पाएंगे अतः हम कह सकते है की पानी ही जीवन का मूल स्रोत है

मैं दिल्ली में रहता हूँ तथा दिल्ली से बहुत प्यार करता हूँ और एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मेरा यह फर्ज बनता हे की मैं भी दिल्ली के लिए कुछ करूँ इसलिए मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूँ जिससे दिल्ली में पानी की समस्या काफी हद तक दूर हो जायेगी में ये लेख दिल्ली को आधार मानकर लिख रहा हूँ इसलिए ये सुझाव उन सभी शहरों पर भी लागु होंगे जहाँ पानी की समस्या हे

आज हमें पानी के लिए दुसरे राज्यों के रहमोकरम पर रहना पड़ता है तथा उनके नखरे सहने पड़ते हैं मगर अब वक्त आ गया है की दिल्ली पानी के मामले में आत्मनिर्भर बने मगर आप सोच रहें होंगे की दिल्ली पानी के मामले में आत्मनिर्भर कैसे बन सकती है ? दिल्ली में कोई ऐसी जगह तो हे नही जहाँ से नदी का उद्गम होता हो , और एक यमुना हे वो भी दुसरे राज्यों से होकर आती हे तो इसका जवाब है वर्षा का पानी जो आज तक दिल्ली वालों के लिए अभिशाप बना हुआ है वही पानी आने वाले समय में दिल्ली के लिए वरदान बनेगा

आज जब भी बारिश होती है तो दिल्ली की सड़कें नरक बन जाती हैं हर तरफ़ पानी भर जाता है जिससे दिल्ली का ट्रेफिक जाम हो जाता है लोग घंटो उस जाम में फंसे रहते हैं इस पानी को निकालने के लिए दिल्ली सरकार को हर साल करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं जिसकी वजह से पानी नालों के द्वारा सीधे लबालब भरी यमुना में गिरता hai अब आप सोच रहें होंगे की मैं यमुना को लबालब क्यों कह रहा हूँ जबकि यमुना तो सूखी रहती है

अरे भाई मैं उस वक्त की बात कर रहा हूँ जब देश में हर जगह मानसून अपनी दस्तक दे रहा होता हे और हर जगह बाढ़ आ रही होती है और वही राज्य जो कल तक दिल्ली को पानी देने के लिए नखरे दिखा रहे थे वे बाढ़ का पानी यमुना के द्वारा दिल्ली में भेज देते हैं इस वजह से हमारे बरसात का पानी भी लबालब भरी यमुना से होता हुआ दिल्ली के बहार चला जाता है और मानसून के समाप्त होते ही यमुना फ़िर सूख जाती है फ़िर चरों तरफ़ पानी के लिए त्राहि त्राहि मच जाती है
इन परेशानियो से बचने के लिए हमें आज से कई साल पहले वाली दिल्ली की तरफ लौटना पड़ेगा जब यह तालाबों , baawdion तथा झीलों की नगरी हुआ करती थी उस वक्त दिल्ली में हर तरफ खुली जगह होती थी तथा पक्की सड़कें ,कंक्रीट के फर्श तथा कंक्रीट के जंगल रूपी इमारतें नही होती थी इस वजह से वर्षा का सारा पानी जमीन के अन्दर समां जाता था जिससे दिल्ली का भूमिगत जल स्तर काफी ऊँचा रहता था इसके कारण उस वक्त तालाबों , झीलों तथा बवाडियो में हमेशा पानी भरा रहता था
अब आप सोच रहें होंगे की हमें वर्षा का पानी जमीन के अन्दर भेजने के लिए हमें saari सड़कें ,फर्श तथा imaraton को todana पड़ेगा are नही भाई इसके लिए दिल्ली सरकार को सबसे पहले puraani बवाडियो ,झीलों तथा तालाबों को दुबारा upyog के लिए ठीक करना पड़ेगा तथा कुछ नयी झीलों ,तालाबों तथा बवाडियो का nirmaan karana पड़ेगा और इन सभी को दिल्ली के सभी chetron के saanth jodana पड़ेगा इसके लिए सरकार को पूरी दिल्ली में paayeepon का जाल bicchana पड़ेगा इसके लिए दो तरह की pipe line bichani padegi pahali sthaaniya pipe line जो सभी जगह की imarton तथा सड़कों पर जमा बरसात का पानी जमा karegi और dusari mukhya pipe line जो की sthaaniya pipe line का पानी जमा करके तालाबों ,झीलों बवाडियो जो ( जो भी उस जगह के पास हो ) में daalegi
इन sthaaniya pipon तथा mukhya pipon बीच बीच में mainhole बनाना होगा जिस पर छेद वाला dhakan हो तथा mainhole का tal kacha हो ताकि पानी जमीन के अन्दर समां सके
udaharann के लिए vikaas पुरी में imaraton तथा सड़कों पर जमा वर्षा का पानी सीधे sthaaniye pipe line में jaayega तथा यह पानी इन sthaniye lino में जगह जगह बने mainhole में जाएगा जिसके जरिये वर्षा का पानी जमीन के अन्दर जाएगा तथा baaki bacha पानी जाकर mukhya pipe line में मिलेगा यहाँ भी कुछ पानी जगह जगह बने menhole के जरिये जमीन के अन्दर जाएगा तथा baaki bacha पानी तालाबों तथा झीलों में जाकर जमा होगा इसी तरह अन्य जगह का पानी भी जमा होकर जमीन के अन्दर तथा तालाबों ,झीलों आदि में जमा होगा
are..... are ..... padana band मत करो भाई आपने सोच की मैंने पानी बचाने का तरीका बता दिया to kahaani khatm हो गई are नही भाई अभी kahaani का अंत to baaki है
अब इन झीलों ,तालाबों तथा baavadion को हरे bhare paryatan chektra के रूप में viksit करें जिससे लोग यहाँ घूमने आए इन तालाबों का प्रयोग naav चलाने तथा machalipaalan के लिए किया जाए जिससे लोगों को rojgaar मिले यहाँ से दिल्ली के अन्य जगहों पर पानी की aapurti हो जिससे लोगों की प्यास bujh सके
आप सोच रहें होंगे की मैंने यह सब kitani asaani से कह दिया जबकि कहने और करने में fark होता है मगर कहते है ना "himmat - ऐ -marda to मदद - ऐ - खुदा " यानि जो himmat दिखाता है उसकी मदद खुदा भी करता है

11 comments:

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.


डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!

शोभा said...

अच्छा लिखा है आपने. चिटठा जगत में आपका स्वागत है.

Anonymous said...

चिट्ठाजगत में आपका स्‍वागत है।

Shastri JC Philip said...

वाकई में जल जीवन है!!

हिन्दी चिट्ठाजगत में इस नये चिट्ठे का एवं चिट्ठाकार का हार्दिक स्वागत है.

मेरी कामना है कि यह नया कदम जो आपने उठाया है वह एक बहुत दीर्घ, सफल, एवं आसमान को छूने वाली यात्रा निकले. यह भी मेरी कामना है कि आपके चिट्ठे द्वारा बहुत लोगों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा मिल सके.

हिन्दी चिट्ठाजगत एक स्नेही परिवार है एवं आपको चिट्ठाकारी में किसी भी तरह की मदद की जरूरत पडे तो बहुत से लोग आपकी मदद के लिये तत्पर मिलेंगे.

शुभाशिष !

-- शास्त्री (www.Sarathi.info)

Shastri JC Philip said...

एक अनुरोध -- कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन का झंझट हटा दें. इससे आप जितना सोचते हैं उतना फायदा नहीं होता है, बल्कि समर्पित पाठकों/टिप्पणीकारों को अनावश्यक परेशानी होती है. हिन्दी के वरिष्ठ चिट्ठाकारों में कोई भी वर्ड वेरिफिकेशन का प्रयोग नहीं करता है, जो इस बात का सूचक है कि यह एक जरूरी बात नहीं है.

वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिये निम्न कार्य करें: ब्लागस्पाट के अंदर जाकर --

Dahboard --> Setting --> Comments -->Show word verification for comments?

Select "No" and save!!

बस हो गया काम !!

रंजन राजन said...

हिंदी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है।
आप सचमुच जिम्मेदार नागरिक हैं। अब जिम्मेदार ब्लागर भी बनने की बारी है।
जमकर लिखें और दूसरों के ब्लाग पर ताकझांक कर उन्हें भी अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत कराते रहें।

प्रदीप मानोरिया said...

अच्छा आलेख हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका बहुत बहुत स्वागत है मेरे चिट्ठे पर कविताओं का आनंद लेने के लिए आप सादर आमंत्रण है

Vineeta Yashsavi said...

achha article hai pani ko lekar
apka blog jagat mai swagat hai

अभिषेक मिश्र said...

Ache vishay se shuruaat ki hai aapne. Swagat hai.

shama said...

Sanskritme jalko "jeevan" hee kaha gaya hai!Bohot achha likhte hain!!Shubhkaamnayon sahit swagat hai aapka!
Jo Sameerji ne sujhaw diyaa hai, wahee maibhee de saktee hun?

रचना गौड़ ’भारती’ said...

नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.