कहते हैं " जल ही जीवन है " और " बिन पानी सब सून " यानी जल के बिना हम जीवन की कल्पना ही नही कर सकते और बिना पानी के इस धरती पर कोई रहना ही नही चाहेगा तथा बिना पानी के धरती की सारी हरियाली बिल्कुल ख़त्म हो जायेगी पानी के बिना साफ - सफाई नही हो पायगी और सारी पृथ्वी का पर्यावण प्रदुषित हो जाएगा तथा पृथ्वी रहने लायक नही रहेगी इस कारणवश पृथ्वी मानव विहीन हो जायेगी
आजकल आधुनिकता के इस दौर में हर कोई आधुनिक सुख सुविधाओं से युक्त शहरों की तरफ भाग रहा है जिससे शहरीकरण को बढावा मिल रहा है जिस वजह से नए - नए शहरों का निर्माण हो रहा है तथा धीरे - धीरे शहरों की संख्या बढती जा रही है
मगर इस आधुनिक सुख सुविधाओं से युक्त शहरों में बिना पानी के हमारी हालत उस पक्षी की तरह हो जायेगी जिसे rajmahal में ले जाकर तथा सोने के पिंजरे में बंद करके उसे सारी सुख सुविधाएँ दी गई मगर खाने पिने के लिए कुछ नही दिया गया तथा वह पक्षी बिना खाए पिए तड़प तड़प कर मर गया ठीक उसी तरह हम भी शहरों में तमाम सुख सुविधाओं के होते हुए भी बिना पानी के जी नही पाएंगे अतः हम कह सकते है की पानी ही जीवन का मूल स्रोत है
मैं दिल्ली में रहता हूँ तथा दिल्ली से बहुत प्यार करता हूँ और एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मेरा यह फर्ज बनता हे की मैं भी दिल्ली के लिए कुछ करूँ इसलिए मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूँ जिससे दिल्ली में पानी की समस्या काफी हद तक दूर हो जायेगी में ये लेख दिल्ली को आधार मानकर लिख रहा हूँ इसलिए ये सुझाव उन सभी शहरों पर भी लागु होंगे जहाँ पानी की समस्या हे
आज हमें पानी के लिए दुसरे राज्यों के रहमोकरम पर रहना पड़ता है तथा उनके नखरे सहने पड़ते हैं मगर अब वक्त आ गया है की दिल्ली पानी के मामले में आत्मनिर्भर बने मगर आप सोच रहें होंगे की दिल्ली पानी के मामले में आत्मनिर्भर कैसे बन सकती है ? दिल्ली में कोई ऐसी जगह तो हे नही जहाँ से नदी का उद्गम होता हो , और एक यमुना हे वो भी दुसरे राज्यों से होकर आती हे तो इसका जवाब है वर्षा का पानी जो आज तक दिल्ली वालों के लिए अभिशाप बना हुआ है वही पानी आने वाले समय में दिल्ली के लिए वरदान बनेगा
आज जब भी बारिश होती है तो दिल्ली की सड़कें नरक बन जाती हैं हर तरफ़ पानी भर जाता है जिससे दिल्ली का ट्रेफिक जाम हो जाता है लोग घंटो उस जाम में फंसे रहते हैं इस पानी को निकालने के लिए दिल्ली सरकार को हर साल करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं जिसकी वजह से पानी नालों के द्वारा सीधे लबालब भरी यमुना में गिरता hai अब आप सोच रहें होंगे की मैं यमुना को लबालब क्यों कह रहा हूँ जबकि यमुना तो सूखी रहती है
अरे भाई मैं उस वक्त की बात कर रहा हूँ जब देश में हर जगह मानसून अपनी दस्तक दे रहा होता हे और हर जगह बाढ़ आ रही होती है और वही राज्य जो कल तक दिल्ली को पानी देने के लिए नखरे दिखा रहे थे वे बाढ़ का पानी यमुना के द्वारा दिल्ली में भेज देते हैं इस वजह से हमारे बरसात का पानी भी लबालब भरी यमुना से होता हुआ दिल्ली के बहार चला जाता है और मानसून के समाप्त होते ही यमुना फ़िर सूख जाती है फ़िर चरों तरफ़ पानी के लिए त्राहि त्राहि मच जाती है
इन परेशानियो से बचने के लिए हमें आज से कई साल पहले वाली दिल्ली की तरफ लौटना पड़ेगा जब यह तालाबों , baawdion तथा झीलों की नगरी हुआ करती थी उस वक्त दिल्ली में हर तरफ खुली जगह होती थी तथा पक्की सड़कें ,कंक्रीट के फर्श तथा कंक्रीट के जंगल रूपी इमारतें नही होती थी इस वजह से वर्षा का सारा पानी जमीन के अन्दर समां जाता था जिससे दिल्ली का भूमिगत जल स्तर काफी ऊँचा रहता था इसके कारण उस वक्त तालाबों , झीलों तथा बवाडियो में हमेशा पानी भरा रहता था
अब आप सोच रहें होंगे की हमें वर्षा का पानी जमीन के अन्दर भेजने के लिए हमें saari सड़कें ,फर्श तथा imaraton को todana पड़ेगा are नही भाई इसके लिए दिल्ली सरकार को सबसे पहले puraani बवाडियो ,झीलों तथा तालाबों को दुबारा upyog के लिए ठीक करना पड़ेगा तथा कुछ नयी झीलों ,तालाबों तथा बवाडियो का nirmaan karana पड़ेगा और इन सभी को दिल्ली के सभी chetron के saanth jodana पड़ेगा इसके लिए सरकार को पूरी दिल्ली में paayeepon का जाल bicchana पड़ेगा इसके लिए दो तरह की pipe line bichani padegi pahali sthaaniya pipe line जो सभी जगह की imarton तथा सड़कों पर जमा बरसात का पानी जमा karegi और dusari mukhya pipe line जो की sthaaniya pipe line का पानी जमा करके तालाबों ,झीलों बवाडियो जो ( जो भी उस जगह के पास हो ) में daalegi
इन sthaaniya pipon तथा mukhya pipon बीच बीच में mainhole बनाना होगा जिस पर छेद वाला dhakan हो तथा mainhole का tal kacha हो ताकि पानी जमीन के अन्दर समां सके
udaharann के लिए vikaas पुरी में imaraton तथा सड़कों पर जमा वर्षा का पानी सीधे sthaaniye pipe line में jaayega तथा यह पानी इन sthaniye lino में जगह जगह बने mainhole में जाएगा जिसके जरिये वर्षा का पानी जमीन के अन्दर जाएगा तथा baaki bacha पानी जाकर mukhya pipe line में मिलेगा यहाँ भी कुछ पानी जगह जगह बने menhole के जरिये जमीन के अन्दर जाएगा तथा baaki bacha पानी तालाबों तथा झीलों में जाकर जमा होगा इसी तरह अन्य जगह का पानी भी जमा होकर जमीन के अन्दर तथा तालाबों ,झीलों आदि में जमा होगा
are..... are ..... padana band मत करो भाई आपने सोच की मैंने पानी बचाने का तरीका बता दिया to kahaani khatm हो गई are नही भाई अभी kahaani का अंत to baaki है
अब इन झीलों ,तालाबों तथा baavadion को हरे bhare paryatan chektra के रूप में viksit करें जिससे लोग यहाँ घूमने आए इन तालाबों का प्रयोग naav चलाने तथा machalipaalan के लिए किया जाए जिससे लोगों को rojgaar मिले यहाँ से दिल्ली के अन्य जगहों पर पानी की aapurti हो जिससे लोगों की प्यास bujh सके
आप सोच रहें होंगे की मैंने यह सब kitani asaani से कह दिया जबकि कहने और करने में fark होता है मगर कहते है ना "himmat - ऐ -marda to मदद - ऐ - खुदा " यानि जो himmat दिखाता है उसकी मदद खुदा भी करता है
Saturday, September 27, 2008
Thursday, September 11, 2008
स्वागतम
आप सभी का मेरे ब्लॉग पर स्वागत है , अपने ब्लोगे के जरिये मैं लाया हूँ
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- ज्ञानवर्धक बाते
- सीख भरी कहानियाँ जो की आपकी सोच बदल दे
- सांथ हीं हमारे आस - पास मौजूद कुच्छ ऐसी समस्याएँ जो की हमारे जीवन से सीधा सम्बन्ध रखती हैं
मैं आशा करता हूँ की आपको मेरा ब्लोगे पसंद आयगा
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